बिना चिकित्सक के चल रहा अस्पताल का डायलिसिस सेंटर

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Aug 18, 2025 - 22:02
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बिना चिकित्सक के चल रहा अस्पताल का डायलिसिस सेंटर

गढ़वा के सदर अस्पताल की महत्वपूर्ण व्यवस्था भगवान भरोसे

प्रभाष मिश्रा, गढ़वा

गढ़वा सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. सुधार की तमाम कोशिशों के बीच स्थिति यह है कि यहां की महत्वपूर्ण व्यवस्था भी भगवान भरोसे चल रही है. अस्पताल का डायलिसिस सेंटर पिछले कई महीनों से बिना डॉक्टर के ही संचालित हो रहा है. गढ़वा देश के 112 आकांक्षी जिलों में शामिल है. इन जिलों में स्वास्थ्य और शिक्षा के सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाता है, लेकिन गढ़वा में लगातार बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था इस योजना की सफलता पर सवाल खड़े कर रही है. 16 मई 2021 को राज्य के तत्कालीन मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने गढ़वा सदर अस्पताल में डायलिसिस सेवा की शुरुआत की थी. 2021 से अगस्त 2025 तक की अवधि में केवल एक साल ही चिकित्सक उपलब्ध रहे. शेष समय टेक्नीशियन के भरोसे ही यह सेवा चलायी गयी. शुरुआती चार महीने तक डॉ पूजा सहगल ने यहां अपनी सेवा दी. इसके बाद करीब चार महीने तक डॉ अरशद अंसारी ने कार्यभार संभाला. बाद तत्कालीन उपाधीक्षक हेरेन चंद्र महतो को तीन महीने के लिए मेडिकल ऑफिसर बनाया गया. उनके जाने के बाद से अब तक सेंटर में कोई डॉक्टर तैनात नहीं है.

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35 मरीजों का हो रहा डायलिसिस

वर्तमान में गढ़वा सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में 35 मरीजों का नियमित डायलिसिस किया जा रहा है. यह जिम्मेदारी टेक्नीशियन सुरेंद्र यादव और फूलों कुमारी निभा रहे हैं. डायलिसिस एक जीवन रक्षक सेवा है, जो गुर्दे की बीमारी के लक्षणों को कम करने और मरीजों के जीवन को बनाये रखने में मदद करता है. ऐसे में इस सेवा का बिना चिकित्सक के संचालन गंभीर सवाल खड़े करता है.

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बीपीएल परिवारों को दी जाती है नि:शुल्क सेवा

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) वर्ष 2016-17 में शुरू किया गया था. इसके तहत जिला अस्पतालों में बीपीएल परिवारों को निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा दी जाती है, जबकि गैर-बीपीएल मरीजों को यह सेवा मामूली शुल्क (1206 रुपये) पर उपलब्ध होती है. यह सेवाएं सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत संचालित की जाती हैं.

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कोट

मूलतः डायलिसिस सेंटर में टेक्नीशियन का ही कार्य होता है. फिर भी गढ़वा सदर अस्पताल में फिजिशियन को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया गया है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे तत्काल मरीजों को चिकित्सा सेवा दे सकें. – डॉ जॉन एफ केनेडी, सिविल सर्जन

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