Bishrampur Vidhan Sabha: बिश्रामपुर के गांवों में रोजगार और पलायन, शहर में पेयजल आपूर्ति की चुनौती कायम

Bishrampur Vidhan Sabha: झारखंड के बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में आज भी गांवों में रोजगार और पलायन मुद्दा बना हुआ है, तो शहर में पेयजल आपूर्ति की चुनौती है. The post Bishrampur Vidhan Sabha: बिश्रामपुर के गांवों में रोजगार और पलायन, शहर में पेयजल आपूर्ति की चुनौती कायम appeared first on Prabhat Khabar.

Sep 18, 2024 - 17:15
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Bishrampur Vidhan Sabha: बिश्रामपुर के गांवों में रोजगार और पलायन, शहर में पेयजल आपूर्ति की चुनौती कायम

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Bishrampur Vidhan Sabha|बिश्रामपुर (पलामू), ब्रजेश दुबे : झारखंड के बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति अन्य विधानसभा से अलग है. यह 2 जिलों में फैला है. इसमें पलामू के 4 प्रखंड व एक नगर निकाय के साथ-साथ गढ़वा जिले के 3 प्रखंड और एक नगर निकाय समाहित है. इस विधानसभा ने दो दशक तक नक्सलवाद और उग्रवाद की विभीषिका झेली है.

उग्रवाद की वजह से लंबे अरसे तक बाधित रहा विकास

उग्रवाद के कारण क्षेत्र का विकास लंबे समय तक बाधित रहा. हालांकि क्षेत्र में फोर लेन सहित कई सड़कें बनीं हैं. कई प्रस्तावित हैं. कुछ निर्माण की प्रक्रिया में हैं. कई नदी-नालों पर पुल-पुलिया बने, लेकिन जिस रफ्तार से यहां का विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ.

ramchandra chandravanshi university bishrampur
बिश्रामपुर स्थित रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय. फोटो : प्रभात खबर

शिक्षा का हब बना बिश्रामपुर, एक सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं

विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ पलामू जिले का बिश्रामपुर शिक्षा का हब तो बना, लेकिन 25 वर्षों के लंबे आंदोलन के बाद भी बिश्रामपुर व मझिआंव अनुमंडल नहीं बना है. किसानों को सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण का आज भी इंतजार है. झारखंड में बहने वाली सोन व कोयल नदी पर तटबंध निर्माण का वादा भी पूरा नहीं हुआ है. क्षेत्र में युवाओं के लिए न तो रोजगार सृजन की कोई पहल हुई और न ही मजदूरों का पलायन रुका. शहरी क्षेत्र में एक भी पेयजलापूर्ति योजनाएं पूरी नहीं हुई.

1952 में हुआ था विधानसभा का पहला चुनाव

एकीकृत बिहार के समय 1952 में यहां पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ था. उस समय यह विधानसभा पाटन-बिश्रामपुर के नाम से जाना जाता था. जिसमें लेस्लीगंज और मनातू क्षेत्र भी शामिल था. उस वक्त यह सामान्य सीट हुआ करता था. वर्ष 1969 में इस विधानसभा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. वर्ष 1977 में परिसीमन के बाद बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र बना, जिसे सामान्य श्रेणी में रखा गया.

40 वर्षों से ददई दुबे व रामचंद्र चंद्रवंशी हैं राजनीति की धुरी

पिछले 40 वर्षों से दो नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे व रामचंद्र चंद्रवंशी बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र की धुरी बने हुए हैं. दोनो यहां से 4-4 बार विधायक बन चुके हैं. इस दौरान दोनों एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड सरकार तक में मंत्री रहे. अब इन दोनों नेताओं की बढ़ती उम्र इन्हें चुनावी राजनीति से दूर कर सकती है.

क्षेत्र का काफी विकास हुआ : रामचंद्र चंद्रवंशी

पूर्व मंत्री सह विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि क्षेत्र में काफी विकास कार्य हुआ है. सड़कों का जाल बिछाया गया. सभी नदी नालों पर पुल बनवाया गया. विश्रामपुर को उग्रवाद-नक्सलवाद से बाहर निकाल कर शिक्षा का हब बनाया. बिश्रामपुर पुलिस अनुमंडल बन चुका है. इंडिया गठबंधन की सरकार ने सिंचाई योजनाओं का काम पूरा नहीं होने दिया. प्रदेश में अगली सरकार भाजपा की बनेगी. उसके बाद सिंचाई योजनाओं को धरातल पर उतारा जायेगा और बिश्रामपुर को अनुमंडल का दर्जा भी मिल जायेगा.

Ramchandra Chandrawanshi 1

बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे

  • बिश्रामपुर विधानसभा कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां की 70 प्रतिशत आबादी खेती किसानी पर आश्रित हैं. फिर भी अब तक एक भी सिंचाई परियोजना नहीं है.
  • क्षेत्र के लब्जी, झांझी, बंकी व खुंटीसोत नदी को बांध कर खेतों तक पानी पहुंचाने की मांग वर्षों पुरानी है. इस दिशा में अब तक काम नहं हुआ.
  • क्षेत्र से गुजरने वाली सोन और कोयल नदी हर वर्ष बरसात के दिनों में दर्जनों गांव के सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि को अपने मे समाहित कर ले रहीं हैं. इन दोनों नदी के किनारे तटबंध बनाने की मांग भी वर्षों पुरानी है.
  • बिश्रामपुर और मझिआंव को अनुमंडल का दर्जा दिलाने की मांग पिछले 25 वर्षों से उठ रही है.
  • इस विधानसभा क्षेत्र में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है. सभी 7 प्रखंड में सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने की मांग होती रही है.
  • बिश्रामपुर, पांडू व मझिआंव में पेयजल की किल्लत हमेशा ही रहती है.
  • युवाओं को रोजगार देना और मजदूरों का पलायन रोकना भी चुनौती है.

विधायक ने नहीं किया कोई काम : राजन मेहता

Rajan Mehta

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष राजन मेहता वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे. राजन मेहता ने कहा है कि बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लगा है. बुनियादी सुविधाएं भी यहां के लोगों को उपलब्ध नहीं हैं. 4 बार विधायक रहने के बावजूद रामचंद्र चंद्रवंशी ने कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया. उनके द्वारा किये गये सभी वादे आधे-अधूरे हैं. सिर्फ विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है. पिछले 10 वर्षों में यहां विकास थम गया है.

बिश्रामपुर विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामचुनाव में मिले वोट
रामचंद्र चंद्रवंशीभारतीय जनता पार्टी40,635
राजन मेहताबहुजन समाज पार्टी32,122

बिश्रामपुर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामचुनाव में मिले वोट
रामचंद्र चंद्रवंशीभारतीय जनता पार्टी37,974
अंजू सिंहनिर्दलीय24,064

बिश्रामपुर विधानसभा चुनाव 2009 के परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामचुनाव में मिले वोट
चंद्रशेखर दुबेकांग्रेस25,609
रामचंद्र चंद्रवंशीराष्ट्रीय जनता दल17257

लोकसभा चुनाव 2024 में बिश्रामपुर में किसे-कितने वोट मिले

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामचुनाव में मिले वोट
विष्णु दयाल रामभारतीय जनता पार्टी1,19,685
ममता भुइयांराष्ट्रीय जनता दल69,188

क्या कहते हैं बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के आम लोग

पिछले पांच वर्षों से सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा. क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय विकास का कार्य नहीं हुआ है. क्षेत्र के लोग परेशान हैं. हलीमा बीबी, (निवर्तमान अध्यक्ष) नगर परिषद, बिश्रामपुर

शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना से जहां शिक्षा का बेहतर माहौल बना, वहीं विश्रामपुर को देश-प्रदेश में एक अलग पहचान मिली. गरीब के बच्चे भी अब डॉक्टर, इंजीनियर बन रहे हैं. यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. राजन पांडेय, (निदेशक) रेड रोज पब्लिक स्कूल, बिश्रामपुर

विकास एक निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है. क्षेत्र का विकास हुआ है, भले ही रफ्तार कुछ धीमा रहा. सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति व विश्रामपुर को अनुमंडल का दर्जा मिल जाता, तो विकास के कई द्वार खुल जाते. अखिलेश गुप्ता, व्यवसायी, रेहला

बिश्रामपुर विधानसभा सीट से चुने गए अब तक के विधायकों के नाम

चुनाव का वर्षविजेता का नाम
1952भुनेश्वर चौबे
1957राम किशोर सिंह
1962श्याम बिहारी सिंह
1967योगेश्वर राम
1969राम देनी राम
1972रामधनी राम
1977विनोद सिंह
1980विनोद सिंह
1985चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे
1990चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे
1995रामचंद्र चंद्रवंशी
2000चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे
2005रामचंद्र चंद्रवंशी
2009चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे
2014रामचंद्र चंद्रवंशी
2019रामचंद्र चंद्रवंशी

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