Assisted Dying Bill : अब मांगने से मिलेगी मौत, सांसदों ने उठाया ऐतिहासिक कदम
Assisted Dying Bill : कई बार जिंदगी इतनी नीरस और पीड़ादायी हो जाती है कि जीने की इच्छा शेष नहीं रहती और जिंदगी से खूबसूरत मौत लगने लगती है. जिस किसी भी व्यक्ति के जीवन में इस तरह की परिस्थिति बनेगी, सरकार आगे आकर उसे मौत के आगोश में सौंप देगी. जी हां, अब इच्छामृत्यु अवैध नहीं रहेगा, बल्कि यह कानूनी बनने की ओर अग्रसर है. The post Assisted Dying Bill : अब मांगने से मिलेगी मौत, सांसदों ने उठाया ऐतिहासिक कदम appeared first on Prabhat Khabar.

Assisted Dying Bill : जिंदगी से निराश हो चुके व्यक्तियों को अब इच्छामृत्यु का विकल्प मिल सकता है. इस ऐतिहासिक फैसले पर ब्रिटेन की संसद ने अपनी मुहर लगाई है और बहुत संभव है कि कुछ संशोधन के साथ इच्छामृत्यु का यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा. ब्रिटेन की संसद में इस बिल को लेबर पार्टी की सांसद किम लीडबीटर ने पेश किया. इस बिल को हाउस ऑफ कॉमन्स ने 330 वोटों का समर्थन दिया, जबकि इसके विपक्ष में 275 वोट पड़े. ब्रिटेन में इच्छा मृत्यु का विकल्प दिए जाने की मांग को लेकर काफी समय से अभियान चलाया जा रहा था. इन लोगों के लिए यह खबर बहुत बड़ी सफलता है.
बिल में क्या है खास?

लेबर पार्टी की सांसद किम लीडबीटर द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक में इस बात का प्रावधान किया गया है कि ऐसे व्यक्ति जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हों और जिनके स्वस्थ्य होने की संभावना शून्य हो, उन्हें इच्छामृत्यु का विकल्प दिया जा सकता है. बिल में इस बात का भी प्रावधान है कि रोगियों के बारे में यह पता हो कि उनका जीवन छह माह से अधिक नहीं होगा, तभी उन्हें यह विकल्प अपनाने की छूट होगी. जो भी व्यक्ति इस विकल्प को चुनेगा उसे अपनी बात के समर्थन में दो डॉक्टरों और एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का स्वीकृति पत्र देना होगा, तभी संबंधित व्यक्ति को इच्छा मृत्यु का विकल्प चुनने की आजादी दी जाएगी. बिल में यह व्यवस्था भी की गई है कि अगर कोई व्यक्ति तीन साल तक गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, तब भी उसे इस विकल्प को चुनने की आजादी नहीं दी जाएगी.
हाउस ऑफ कॉमन्स में जोरदार बहस हुई
द गार्जियन के अनुसार हाउस ऑफ कॉमन्स में इच्छामृत्यु के बिल पर जोरदार बहस हुई. कई सांसदों ने बिल के समर्थन में तो कई ने बिल के विपक्ष में जोरदार तर्क पेश किए. Assisted Dying Bill पर ब्रिटेन में पहली बार मतदान हुआ है और इसने पूरे सदन को बांटकर रख दिया. कीर स्टारमर और राहेल रीव्स ने ऋषि सुनक और जेरेमी हंट जैसे प्रमुख विपक्षी सांसदों के साथ इस बिल के पक्ष में मतदान किया. वहीं कई सांसदों ने बीमारी और मृत्यु से संबंधित अनुभवों को भी बहस के दौरान बताया. इस बिल पर बहस लगभग पांच घंटे तक चली. इच्छामृत्यु के बिल पर ब्रिटेन में कुछ समय पहले मतदान कराया गया था, जिसमें देश की तीन चौथाई जनता ने बिल के पक्ष में मतदान किया था, हालांकि वे इसमें संशोधन की पक्षधर थीं. 65 जनता ने बिल के पक्ष में मतदान किया था. विधेयक के विरोधियों का कहना है कि यह बिल जल्दबाजी में बनाया गया है. इस बिल के कानून बनने से राज्य -नागरिक और डॉक्टर और रोगियों के बीच संबंध बिलकुल बदल जाएंगे.
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विधेयक के कानून बनने की क्या है प्रक्रिया?

इच्छामृत्यु का बिल हाउस ऑफ कॉमन्स से पास हो गया है, लेकिन इसे कानून बनने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. बिल को पेश करने वाली सांसद किम लीडबीटर इसे पब्लिक बिल कमेटी के पास भेजेंगी. कमेटी के सदस्यों का चुनाव वो खुद करेंगी और यह सुनिश्चित भी करेंगी कि कमेटी के मेंबर एक संतुलित विचार बिल के बारे में दें. इस कमेटी का काम बिल की जांच करके उसके बारे में विचार देना होगा. कानून मंत्रालय से एक मंत्री इस कमेटी में शामिल होगा और यह कमेटी अगले साल से अपना काम शुरू कर देगी. यह कमेटी तमाम संशोधन पर विचार करने के बाद उसे हाउस ऑफ कॉमन्स के पास फिर से वोट के लिए भेजेगी जो महज एक औपचारिकता ही होगी. उसके बाद यह बिल हाउस ऑफ लाॅर्ड्स के पास जाएगा, जहां इसपर विचार होगा और फिर दोनों सदन इसे पास कर देगी, जिसके बाद यह बिल कानून बन जाएगा. लेकिन बिल को लागू होने में दो साल का समय लगेगा जैसा कि बिल में बताया भी गया है.
विश्व के किन देशों में इच्छामृत्यु है कानूनी
नीदरलैंड विश्व का पहला देश है जिसने इच्छामृत्यु को वैध बनाया था. उसने एक अप्रैल 2002 में इच्छामृत्यु के पक्ष में कानून पास किया था. इसके अलावा बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कोलंबिया जैसे देशों में इच्छामृत्यु वैध है. अमेरिका के कुछ राज्यों में भी इच्छामृत्यु वैध है, जिसमें वाशिंगटन डीसी और कैलिफार्निया शामिल है. भारत में इच्छामृत्यु अभी तक वैध नहीं है और ना ही इससे संबंधित कोई कानून बना है.
किस देश ने इच्छामृत्यु को सबसे पहले बनाया था वैध
नीदरलैंड विश्व का पहला देश है जिसने इच्छा मृत्यु को वैध बनाया था.
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