Bihar News: नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष को मंत्री का दर्जा नहीं, महासचिवों को केवल मानदेय
Bihar News: नीतीश सरकार ने 23 जून, 2025 को बिहार नागरिक परिषद का गठन किया था. इस परिषद के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होते हैं. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने बिहार राज्य नागरिक परिषद में दो उपाध्यक्ष, सात महासचिव एवं 21 सदस्यों को मनोनीत करने की अधिसूचना जारी की थी. The post Bihar News: नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष को मंत्री का दर्जा नहीं, महासचिवों को केवल मानदेय appeared first on Prabhat Khabar.

Bihar News: पटना. नागरिक परिषद में मनोनीत होने के साथ ही खुद को राज्यमंत्री मान चुके नेताओं को नीतीश सरकार ने बड़ा झटका दिया है. इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी. सरकार के आदेश से नागरिक परिषद के सभी सदस्य और पदाधिकारी हैरान और परेशान हैं. खुद को राज्य मंत्री मान चुके नेता अब उप मंत्री भी नहीं रहे. नीतीश सरकार के एक पत्र जारी कर नागरिक परिषद के पदाधिकारियों का दर्जा तय कर दिया है. नीतीश सरकार ने नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष-महासचिवों को राज्यमंत्री-उप मंत्री का दर्जा नहीं दिया. उपाध्यक्षों को बीपीएससी अध्यक्ष जैसी सुविधा मिलेगी, जबकि महासचिवों को केवल मानदेय से संतोष करना पड़ेगा.
महासचिवों को न राज्यमंत्री का दर्जा मिला न उप मंत्री का
उपाध्यक्ष, महासचिव और सदस्यों को दी जाने वाली सुविधा को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने 14 अगस्त को अधिसूचना जारी की है, जिसमें नागरिक परिषद के उपाध्यक्षों को बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समरूप वेतन एवं सुविधा दी जाएगी. कैबिनेट सचिवालय की अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य नागरिक परिषद के महासचिवों को बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान ‘मानदेय’ निर्धारित किया गया है. इन्हें वेतन की बजाय मानदेय मिलेगा, जबकि उपाध्यक्ष को वेतन व अन्य सुविधा दी जायेगी. बिहार राज्य नागरिक परिषद के सदस्यों को प्रतिमाह सिर्फ 30 हजार मानदेय मिलेगा.
उपाध्यक्ष को बीपीएससी अध्यक्ष वाला वेतन व सुविधा
बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को बिहार के मुख्य सचिव स्तर की सुविधा दी जाती है, वहीं बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों को प्रधान सचिव रैंक का वेतन व अन्य सुविधा दी जाती है. इस तरह से नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष और राज्य नागरिक परिषद के महासचिवों को न तो राज्यमंत्री का दर्जा मिला और न ही उप मंत्री का. महासचिवों को वेतन भी नहीं मिलेगा, बल्कि मानदेय से संतोष करना पड़ेगा, जबकि नागरिक परिषद के सदस्यों को जितना मानदेय मिलेगा, उतना मानदेय तो अदना सा सरकारी कर्मियों को मिलता है.
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